उत्तराखंड की प्रसिद्ध पर्यटन नगरी नैनीताल हर साल गर्मियों में सैलानियों से भर जाती है। अप्रैल से जून के बीच यहां की झीलें, हरे-भरे पहाड़ और ठंडी हवाएं उत्तर भारत के पर्यटकों को आकर्षित करती हैं। परन्तु इस साल स्थिति एकदम अलग है। इस बार ना तो बाजारों में चहल-पहल है, ना ही होटल में बुकिंग्स, और ना ही नैनी झील में नावों की हलचल।
पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों के अनुसार, अब तक लगभग 60 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। पर्यटन से जीविका चलाने वाले हजारों लोगों की रोजी-रोटी पर संकट मंडरा रहा है।
इस बार क्यों नहीं आए पर्यटक?
इस वर्ष पर्यटकों की कमी के पीछे जो सबसे अहम और चिंताजनक कारण उभरा है, वह है – भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव, युद्ध की आशंका और हालिया आतंकी गतिविधियों में वृद्धि।
नैनीताल जैसे शांतिप्रिय पर्यटन स्थल भी अब इन घटनाओं से अछूते नहीं रहे। देश में जब भी राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ती है, तो उसका सीधा असर पर्यटन पर दिखाई देता है।
भारत-पाकिस्तान तनाव का असर
पिछले कुछ महीनों से भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव फिर से चरम पर है। हाल ही में पाकिस्तान के एक राजनयिक को जासूसी के आरोप में निष्कासित किया गया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों में खटास और गहरा गई। साथ ही एलओसी (नियंत्रण रेखा) पर भी गोलीबारी की घटनाएं और सैनिकों की शहादत की खबरें लगातार सामने आ रही हैं।
इसके अलावा, विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स और सोशल मीडिया पर यह चर्चा तेज हो गई कि दोनों देशों के बीच स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। इससे आम नागरिकों में युद्ध जैसी स्थिति को लेकर भय व्याप्त हुआ, और बड़ी संख्या में लोगों ने अपने यात्रा कार्यक्रम रद्द कर दिए।
आतंकी घटनाओं ने बढ़ाई चिंता
इसी के साथ देश के कई हिस्सों में हालिया आतंकी गतिविधियों, जैसे कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले, खुफिया सूचनाओं के आधार पर हाई अलर्ट और देश के भीतर पाकिस्तानी नेटवर्क का खुलासा, आम लोगों को यात्रा करने से रोकने वाले कारण बने।
हाल ही में हरियाणा की एक यूट्यूबर को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी को संवेदनशील जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया, जिसने जनता को और सतर्क कर दिया। लोगों में यह भावना बनी कि देश में कहीं भी अब आतंकी नेटवर्क सक्रिय हो सकते हैं और ऐसे माहौल में पर्यटन की बजाय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए।
होटल, टैक्सी, नाव — सब प्रभावित
इस भय और अनिश्चितता की स्थिति का सीधा असर नैनीताल की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है।
- होटल व्यवसायी बताते हैं कि जहां पिछली बार मई में बुकिंग 90% से अधिक होती थी, इस बार 40% से नीचे है।
- नाविकों को दिन भर में मुश्किल से 2-3 सवारियां मिल रही हैं।
- रेस्टोरेंट, कैफे और दुकानदार भी घाटे में चल रहे हैं।
- ट्रैवल एजेंट्स और टैक्सी यूनियनों ने भी बताया कि पर्यटकों की संख्या आधे से भी कम रह गई है।
सुरक्षा चिंता बन गई पर्यटन की दुश्मन
पर्यटक अब सिर्फ मौसम या प्राकृतिक सुंदरता नहीं देखते, वे सुरक्षा की गारंटी भी चाहते हैं।
नैनीताल के कई पर्यटकों ने बुकिंग रद्द करते हुए कारण बताया कि वे किसी भी अनहोनी या सुरक्षा संकट में फंसना नहीं चाहते। खासतौर पर परिवार के साथ यात्रा करने वाले लोग बेहद सतर्क हो गए हैं।
सरकार से अपेक्षा: भरोसा लौटाए
पर्यटन कारोबारियों की सरकार से मांग है कि वह:
- देश में सुरक्षा का भरोसा पुनः बहाल करे।
- पर्यटन स्थलों को “सुरक्षित क्षेत्र” के रूप में प्रचारित किया जाए।
- पर्यटन से जुड़ी इकाइयों को वित्तीय राहत पैकेज दिया जाए।
- आतंकी गतिविधियों और जासूसी नेटवर्क पर कड़ी कार्रवाई और पारदर्शिता दिखाई जाए, ताकि लोगों को यह विश्वास हो कि देश सुरक्षित हाथों में है।
निष्कर्ष: पर्यटन की कीमत पर नहीं देश की सुरक्षा
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। लेकिन साथ ही पर्यटन जैसे उद्योग, जो लाखों लोगों को रोजगार देता है, उसकी रक्षा और पुनरुद्धार भी सरकार की जिम्मेदारी है।
नैनीताल का यह पर्यटन संकट केवल स्थानीय चिंता नहीं है, यह संकेत है कि देश के आंतरिक और बाहरी सुरक्षा हालात सीधे-सीधे आर्थिक क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।
अगर भारत-पाकिस्तान तनाव और आतंकी घटनाएं यूं ही बनी रहीं, तो आने वाले समय में केवल नैनीताल ही नहीं, पूरे देश का पर्यटन उद्योग इससे बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।