केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) का इतिहास और विकास

CBSE
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1. स्थापना और प्रारंभिक इतिहास

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की स्थापना 3 नवंबर 1962 को भारत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय शिक्षा बोर्ड के रूप में की गई थी। हालाँकि, इसकी उत्पत्ति उत्तर प्रदेश हाई स्कूल और इंटरमीडिएट शिक्षा बोर्ड (1921) से जुड़ी है।

  • 1921: इलाहाबाद में “यूपी बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन” की स्थापना हुई, जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और कुछ आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों के लिए था।
  • 1929: इस बोर्ड का विस्तार हुआ और इसे “बोर्ड ऑफ हाई स्कूल एंड इंटरमीडिएट एजुकेशन, राजपुताना” नाम दिया गया, जिसमें राजपूताना (वर्तमान राजस्थान), मध्य भारत और ग्वालियर जैसे क्षेत्र शामिल थे।
  • 1952: भारत सरकार ने इसे “केंद्रीय शिक्षा बोर्ड” का दर्जा दिया और इसका नाम बदलकर “केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड” (CBSE) कर दिया गया।
  • 1962: आधिकारिक तौर पर CBSE को एक स्वायत्त संगठन के रूप में मान्यता मिली और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थापित किया गया।

2. CBSE का उद्देश्य

CBSE का मुख्य लक्ष्य देश भर में एक समान और मानकीकृत शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित करना है। इसके प्रमुख उद्देश्य हैं:

  • राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर माध्यमिक शिक्षा के मानकों को बनाए रखना।
  • छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना और उन्हें राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करना।
  • नवीन शिक्षण पद्धतियों को बढ़ावा देना और पाठ्यक्रम को समय-समय पर अपडेट करना।
  • केन्द्रीय विद्यालय (KVS), नवोदय विद्यालय (JNV) और अन्य संबद्ध स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम तैयार करना।

3. CBSE की संरचना और कार्यप्रणाली

  • CBSE एक स्वायत्त संगठन है जो भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • इसके अध्यक्ष और सचिव की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है।
  • बोर्ड विभिन्न समितियों के माध्यम से कार्य करता है, जैसे:
  • पाठ्यक्रम समिति
  • परीक्षा समिति
  • मूल्यांकन समिति

4. CBSE द्वारा आयोजित प्रमुख परीक्षाएँ

CBSE विभिन्न कक्षाओं के लिए परीक्षाएँ आयोजित करता है, जिनमें शामिल हैं:

  • कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा (AISSE – All India Secondary School Examination)
  • कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा (AISSCE – All India Senior School Certificate Examination)
  • जेईई (मेन) और नीट जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन (NTA के साथ मिलकर)
  • CTET (केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा)

5. CBSE से संबद्ध स्कूल

CBSE से लगभग 27,000+ स्कूल (भारत और विदेशों में) संबद्ध हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • केंद्रीय विद्यालय (Kendriya Vidyalayas – KVS)
  • जवाहर नवोदय विद्यालय (Jawahar Navodaya Vidyalayas – JNV)
  • निजी स्कूल (Private Schools)
  • विदेशों में स्थित भारतीय स्कूल (गल्फ, यूएसए, यूरोप आदि में)

6. नवीनतम विकास और डिजिटल पहल

  • डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा: CBSE ने ऑनलाइन पाठ्यक्रम, ई-कंटेंट और डिजिटल मूल्यांकन को प्रोत्साहित किया है।
  • कम्पीटेंसी-बेस्ड एजुकेशन: NEP 2020 के अनुसार, CBSE ने रटंत विद्या के बजाय कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर दिया है।
  • AI और कोडिंग को पाठ्यक्रम में शामिल करना।

निष्कर्ष

CBSE भारत का सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा बोर्ड है, जो छात्रों को राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। इसकी स्थापना 1962 में हुई, लेकिन इसकी जड़ें 1920 के दशक तक जाती हैं। आज यह न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी हजारों स्कूलों को मान्यता प्रदान करता है और शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा दे रहा है।

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