🧬 मिशन उद्देश्य
- यह भारत की चौथी लूनर मिशन है, जिसका मुख्य उद्देश्य चंद्रमा से मिट्टी/पत्थर (sample) सतह से इकट्ठा कर वापस लाना है, लगभग 2–3 kg लूनर नमूने (Wikipedia)।
- इसके साथ-साथ यह डॉकिंग तकनीक, रोबोटिक आर्म, और real-time communication जैसे उन्नत टेक्नोलॉजी को भी टेस्ट करेगा ।
🔧 तकनीकी कॉन्फ़िगरेशन
- मिशन में पाँच मॉड्यूल होंगे:
- LVM‑3 रॉकेट से दो स्टैक्स के जरिए यह मॉड्यूल्स क्रमशः पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च होंगे और फिर डॉकिंग कर चंद्रमा तक भेजे जाएंगे (Wikipedia)।
📅 योजनाबद्ध समयरेखा
- डिज़ाइन एवं subsystem विकास जनवरी–फ़रवरी 2025 में पूरे हो गए (Wikipedia)।
- कैबिनेट अप्रूवल सितंबर 2024 में मिल चुका है, और मिशन की समय सीमा अनुमानित रूप से 2027–2028 निर्धारित है (ISRO)।
- प्लान है – SPADEX डॉकिंग प्रूफ टेस्ट 2025 में, और पूर्ण मिशन लॉन्च 2027–28 में (Wikipedia)।
🔬 वैज्ञानिक तैयारियाँ
- अप्रैल 2025 में Chandrayaan‑4 लूनर सैंपल मिशन पर एक राष्ट्रीय विज्ञान बैठक आयोजित की गई, जिसमें 50 वैज्ञानिक (12 संस्थानों से) ने लूनर सैंपल का विश्लेषण, संभावित लैंडिंग साइट, सैम्पल कैप्चर और रख-रखाव की तकनीकी चर्चाओं में भाग लिया (ISRO)।
🎥 Video Highlight
उज्जवल उपस्थिति के साथ एक YouTube वीडियो भी उपलब्ध है जो मिशन के मुख्य पहलुओं और लौटने वाले नमूनों पर प्रकाश डालता है:
India’s Chandrayaan‑4: Lunar Sample Return Mission (Highlights)
🔭 निष्कर्ष और महत्व
Chandrayaan‑4 सिर्फ sample-return सेम नहीं है, बल्कि यह भारत को:
- डॉकिंग एवं इन‑ऑर्बिट मॉड्यूल मैनुपुलेशन में सक्षम बनाएगा,
- चंद्रमा पर वैज्ञानिक संग्रहण और लौटाव प्रक्रिया का अनुभव देगा,
- 2040 तक मानवयुक्त चंद्र मिशन के लिए नींव तैयार करेगा (Space, pib.gov.in)।
अगर आपको इस मिशन पर और गहराई से जानकारी चाहिए—जैसे संभावित लैंडिंग साइट, सैम्पल विश्लेषण तकनीक या संभावित वैज्ञानिक लाभ—तो बता दीजिए, मैं फिर विस्तार से प्रस्तुत कर दूँगा!